श्रेष्ठ समाधान चमत्कारिक परिणाम

रूद्राक्ष के दर्शन मात्र से पुण्य , स्पर्श से करोड़ गुना पुण्य और धारण करने से उससे भी सौ कोटि गुना पुण्य व्यकित को मिलता है । लक्षकोटि और सहस्त्र लक्षकोटि गुना फल जप से प्राप्त होता है । जिसमें कम का विचार नहीं किया जाता है ।

मनुष्यों में रूद्राक्षधारी सदा वन्दनीय होता है । वह नीच और न करने योग्य कर्मों को करता हो या सब पापों से युक्त हो, तो भी रूद्राक्ष के धारण कर लेने से सब पापों से छुटकारा पा लेता है ।

जो मनुष्य रूद्राक्ष को धारण करता है, उसे देखकर शिवजी तथा अन्य देवता अत्यंत प्रसन्न होते हैं । यदि कोर्इ मनुष्य अज्ञानी, दुराचारी अथवा कुकर्मी हो और रूद्राक्ष को प्रेमपूर्वक धारण करता हो तो वह समस्त पापों से छूटकर परमपद प्राप्त करता है । जो मनुष्य रूद्राक्ष की माला पहनकर हाथ पर मंत्र को जपता है, उसे दस गुना अधिक फल मिलता है । जो मनुष्य को रूद्राक्ष को अपने शरीर पर धारण करता है , उसे न तो अकाल मृत्यु का भय रहता है और न ही कोर्इ कष्ट परशान करता है ।

रूद्राक्ष के दानों में एक प्रकार की अदभुत चुंबकीय और विधुत शकित निहित रहती है - इस बात को केवल आध्यातिमक जगत या भौतिक विज्ञानियों ने ही नहीे , बलिक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार किया है । धारक निश्चय ही रूद्राक्ष की शकित से प्रभावित रहता है । अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियां , दु:स्वप्न तथा भूत - प्रेतादि के उपंद्रव के शमन में रूद्राक्ष का चमत्कारी प्रभाव देखकर पाश्चात्य चिकित्सक भी रोगियों को रूद्राक्ष धारण करने तथा औषधि - रूप में प्रयोग करने की सलाह देने लगे है ।

जो फल यज्ञ, तप , दान तथा वेदाभ्यास का है , वही फल रूद्राक्ष के धारण करने से तत्काल प्राप्त होता है । जो चारों वेद एवं पुराणों का फल है, तीर्थ और सर्वप्रकार की विधाओं का फल शीघ्र ही रूद्राक्ष के धारण करने से मिलता है । प्रयाण के समय यदि कोर्इ कण्ठ और भुजा में रूद्राक्ष धारण कर मृत्यु हो जाए तो इक्कीस कुल तरकर रूद्रलोक में निवास करते हैं ।

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